मन की मिठास
एकता कानूनगो
कार्तिक के पापा का कुछ
समय पहले ही चेन्नै स्थानान्तरण हुआ था, इसके कारण कार्तिक और उसकी मम्मी को भी
चेन्नै आना पडा. जब कार्तिक अपने घर पर रहता था उसका दिन अपने दादा दादी के साथ और
आस-पास के दोस्तो के साथ खेलते हुए गुज़रता था. चेनै जाने के नाम से ही कार्तिक और उसकी
मम्मी दोनो उदास हो गए थे. अपनों को छोड कर इतनी दूर जाना अच्छा नही लग रहा था.
इन्दौर और चेन्नै के बीच
दूरी भी इतनी अधिक थी कि बार-बार आना-जाना भी मुश्किल था. चेन्नै जाने के कुछ दिनों
बाद कार्तिक की मम्मी को कुछ अच्छा लगने लगा क्योंकि आस-पडौस के लोग बहुत ही अच्छे थे और मिलनसार थे. एक दूसरे कि भाषा का ज्ञान
न होते हुए भी एक दूसरे कि ज़रुरत को समझ लेते थे. एक समस्या यह थी कि जहाँ पर वे रहते थे वहाँ कार्तिक का हमउम्र कोई
भी नही था. .इसलिये कार्तिक बार बार दादा के घर इन्दौर जाने की जिद करता रहता.
कार्तिक के मम्मी पापा
ने घर के पास ही स्थित एक अच्छे स्कूल मे उसका दाखिला करा दिया. मम्मी पापा को
विश्वास था कि जब स्कूल में नए साथी उसे मिलेंगे तब शायद उसका मन चेन्नै मे लग
जायेगा. बहुत दिनों तक तो कार्तिक ने स्कूल जाने मे कुछ आना-कानी करी लेकिन बाद
में वह खुशी-खुशी स्कूल जाने लगा ,एक दिन उसकी मम्मी ने जब उसे दुलारते हुए कहा कि
‘ कार्तिक बेटा आज कल तो तुम स्कूल जाने के लिए खुशी खुशी तैयार हो जाते हो
,बिल्कुल तंग भी नही करते.’ तब कार्तिक ने बताया ‘क्योकि स्कूल मे मेरा दोस्त इंतजार करता है, हम
बहुत खेलते हैं, मस्ती करते हैं’. कार्तिक लगातार चहकता हुआ बोलते जा रहा था,
मम्मी ने उसे बीच में टोकते हुए कहा ‘आपके
दोस्त का नाम तो बताए जरा !’ . कार्तिक ने
आवाज को बहुत सुरिला बनाते हुए कहा ‘उसका नाम है अली.. वह मेरा बेस्ट फ्रेंड है ,
he is my best friend... मम्मी ने थोडी देर कुछ सोचा, न जाने क्यों उनके माथे पर
कुछ रेखाएँ उभर आईं. कुछ अनमने भाव से उन्होने घडी की तरफ देखा कार्तिक की कलाई
थाम कर बोलीं –‘चलो स्कूल के लिए देर हो जायेगी चलो जल्दी जूते पहनों और चलो’.
अब तो ये सिलसिला सा बन
गया था , कार्तिक रोज़ स्कूल से आकर पूरे दिन अली के बारे मे बातें करता रहता. अली की अम्मी बहुत अच्छा खाना बनाती है. अली ऐसा
है..अली ऐसा करता है..अली वैसा करता है
अली..अली..अली. कार्तिक की जुबान से जैसे अली शब्द चिपक सा गया था. कार्तिक
कि मम्मी उसे छेडते हुए कहती कि ‘आपके स्कूल मे क्या ‘अलीपाठ’ के अलावा
भी कुछ और भी पढाया जाता है?’ कार्तिक बडी
मासूमियत से कहता –‘ हाँ,मम्मी अली बहुत अच्छा पाठ पढता है.’
अली के प्रति कार्तिक की
दीवानगी से चिंतित कार्तिक कि मम्मी ने उसके पापा से एक दिन कहा-‘ देखो तो कार्तिक
का बस एक यह अली ही मात्र दोस्त है’ . इस बात पर कार्तिक के पापा ने कहा –‘तो क्या
हुआ अच्छा दोस्त एक भी हो तो बहुत है.’ कार्तिक की मम्मी ने असंतोष भरी आखों से देखते
हुए कहा-‘ आप तो कुछ समझते ही नही हैं, मुझे उसकी फिक्र लगी रहती है.’ . ‘ कुछ भी
सोचती रहती हो तुम तो ,नाहक परेशान होने से कोई फायदा नही है.’ कार्तिक के पापा
मुस्कुराते हुए घूमने चले गए थे.
एक दिन कार्तिक रोते हुए
स्कूल से घर लौटा. मम्मी चिंतित हो उठी. जब रोने का कारण पूछा तो कार्तिक ने
आँसुओं को पौंछते हुए कहा- ‘ आज अली ने
उसे मारा, उसका उससे झगडा हो गया है’, मम्मी ने उसे दिलासा दिया और कहा कि ‘रोना बन्द
करो, कल मैं तुम्हारे साथ स्कूल चलूंगी और तुम्हारा सेक्शन बदलवा दूंगी, सब ठीक हो
जाएगा.’ किसी तरह मम्मी ने उसे शांत किया.
अगले दिन जब कार्तिक और
उसकी मम्मी स्कूल पहुँचे , अली दौडते-चहकते उनके पास चला आया , आते ही उसने
कार्तिक से माफी माँगी. वह अपने साथ फूलों
का एक गुलदस्ता भी लाया था, अली ने एक शीट
पर अपने हाथ से एक ग्रीटिंग कार्ड भी
बनाया था. जिस पर उसने सुन्दर अक्षरों में लिखा था,‘ I am sorry my best friend karthik ,lets patch up !!!’
अली के अम्मी और अब्बू भी
तभी वहाँ आ गये. अली की अम्मी ने कार्तिक की
तरफ एक मर्तबान बढाते हुए हुए कहा , लो बेटा आपकी पसन्द कि सेवईंयाँ, अली ने बताया
कि आपको बहुत पसन्द है.’ कार्तिक ने जल्दी से मर्तबान ले लिया और फिर अली के नजदीक
पहुँचकर कहा-‘तुम भी लो ना तुम्हे भी तो
पसन्द है सेवईंयाँ,’
एकाएक स्कूल की घंटी बज
उठी. दोनों अपनी क्लास की और दौड गए. सेक्शन बदलने का कार्तिक की मम्मी का विचार
फूलों की खुशबू और मन की मिठास में न जाने कहाँ गुम सा गया था.
एकता कानूनगो
503,गोयल रिजेंसी,चमेली
पार्क, कनाडिया रोड, इन्दौर-18
Bahut badhiya likha hai Ekta, lag raha tha ki kahani khatam hi na ho, keep it up..mera bhi aisa hi ek friend tha Shoaib bachpan me, abhi kuch time pehle facebook par milna hua, kahani ka saar samajhna bahut zaruri hai hum sab ke liye..well written :)
ReplyDeleteThank you very much sankalp :)
DeleteIs this even written? It feels like somebody is narrating and you are just listening and not reading.This is written in such a lucid manner that the line between story telling and story writing is blurred.
ReplyDeleteThe picture insert is so apt and gels with the story. Nicely presented. Best wishes .
Thank you dear bhabhi :)
Deleteshayad kahani aksh aur abheeruchi ke upar likhi gayi hai...achhi lagi.....aise hi likhti raho
ReplyDeleteTRIPTI BAXI
Thank you aunty :)
Deleteवाह यार एकता मज़ा आ गया... सही कहा संकल्प ने "लग रहा था की कहानी ख़त्म ही ना हो"..
ReplyDeleteचेन्नई और इंदौर का समावेश जो तुमने इस कहानी में किया उससे और ज्यादा जुड़ाव कहानी के प्रति हो गया..
ऐसा लग रहा था की इस कहानी के सभी पात्रो से मेरा गहरा सम्बन्ध रहा है...
बहुत बढ़िया... !!
Thank you bhaiya :)
Deletewow..kuch crude words ko aapne bahut hi acchi finishing de ke likha hai..Proud of u. Waise aage ki kahani ye hai ki aaj karthiki mummy ne thank u letter ali ke liye bheja aur return mai ali ki mummy ka phone aaya aur humne bahut der tak baat ki...Keep writing. It can become a Karthik Ali friendship series...For photos you can check fb...
ReplyDeleteThank you my dear bhabhi :)
Deleteway to go Bhabhi !!! :)
ReplyDeletethank you :)
Deleteहमारे शुरुआती दौर में हम कभी इतना सारा और इतना रोचक व गम्भीर कम समय में नही लिख पाए। बधाई और शुभकामनाएँ कि सीखने-समझने और लिखते रहने की तुम्हारी यह ललक और लगन बनी रहे.. हमारी उम्र तक बहुत सारा तुम लिख सकोगी.. हमारा आशीष सदा तुम्हारे साथ है।
ReplyDeletethank you papa. सब कुछ आप ही से है.
Deletenic....koi 1 line se puri story bana sakta h,heads of 2 u..
ReplyDeleteak gambhir topic ko le kr itni rochak tarik se samjhaya h apne,ki padne wale ko acha b lage aur sikhne walo ko kuch sikhne ko b mile...
as my kaku jiju said...."long way 2 go"
BEST OF LUCK di...
Thanks bul:)
Deleteबधाई एकता एक अच्छी भावनाप्रधान कहानी के लिए ! यह मिठास हर घर, हर मन तक पहुँचाई जानी चाहिए | ऊँची उड़ान के लिए तुम्हारे सामने पूरा आकाश खुला है | मैं आश्वस्त हुआ कि पापा का नाम आगे बढ़ाओगी/ रोशन करोगी | पेड़ जब अच्छा हो तो फल भी अच्छा ही लगता है |
ReplyDeleteधन्यवाद अंकल . आपका आशीर्वाद हमेशा बना रहे.
Deleteas usual bahut hi achcha laga..aur chennai padh ki story dekh k aur bhi jyada achcha laga..but really pehle ki hi stories ki tarah ye bhi bahut hi achi....I would insist you to write a novel now....
ReplyDeleteThank you :)
DeleteKya baat hai Ekta, bahut achi kahani thi. Itni aasani se kahani ka saar samjha dia wo bhi gambhir shabdo ka upyog kie bina. Keep it up. Looking forward for u r next blog. :-)
ReplyDeleteIts me shilpa. :-)
Deletethank u :)
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