कविता
जुनून भी नशा है
जुनून भी नशा है
किसी फल या वनस्पति की सड़ांध
और खमीर से निकलकर नहीं आता नशा
फल की उम्मीद और सुख की कामना में
जीवन संघर्ष से निकल कर जो रस बहता है निरंतर
अद्भुत होता है उसका नशा।
लगन की अग्नि में तप कर
कुंदन बन जाता है
बेहोश नही होता
नींद से जाग जाता है
दुनिया को सुंदर बनाने लगता है
नशे में डूबा आदमी
लड़खड़ाता तो बिल्कुल नहीं
सहारा देता है गिरते हुओं को मजबूती से
नही उखड़ती उसकी सांसे
सरगम की तरह धडकनों का संगीत
मधुरता से भर देता है जीवन
ये ही वह नशा है
जिसने चांद तक पहुंचाया
समुंदर के तल से खोज लिया खजाना
अंतरिक्ष को छू लेता है
जुनून के नशे में डूबा परिंदा।।
एकता
No comments:
Post a Comment