My Profile Profile Hello Friends My name is Ekta Kanungo . I am from Indore, presently in Pune . I

Friday, March 23, 2012

वंदे मातरम


संस्मरण
वंदे मातरम
एकता कानूनगो

सवेरे के ठीक चार बजकर पंद्रह मिनट पर पूरे घर में चहल पहल थी . मम्मी उठ कर चाय और नाश्ता बना रही थी . पापा कार बाहर निकाल रहे थे.सभी को मन में आज ऐसा लग रहा था जैसे घर में कोई उत्सव होने वाला हो. देर रात तक वैसे ही किसी को नींद नहीं आई थी. मुझे याद भी नहीं की सुबह कब हो गई . अलार्म के बजने से पहले ही मैंने अपना बिस्तर छोड़ दिया .जल्दी से तैयार हुई . भगवान के आशीर्वाद लिए और और ठीक पाँच बजकर तीस मिनट पर स्टूडियो पहुँच गयी.

अपने अंदर अलग ही तरह के डर और उत्साह का अजीब संयोग अनुभव कर रही थी. बचपन से लेकर अब तक रेडियो(मेरे यहाँ शुरू से ही बैटरी से चलने वाला ट्रांजिस्टर रहा है) मेरे लिए एक जादूई बक्से की तरह था , कोई दिखाई नहीं देता है , कोई तार नहीं है फिर कहाँ से आवाज़ आती है . जब बिजली चली जाती है और टीवी बंद हो जाते है तब भी यह जादू का डिब्बा हमारा मन बहलाता रहता है. स्कूल में फिजिक्स पढाते वक्त भले ही मैडम ने रेडियो के बारे में विस्तार से बताया था लेकिन मेरे मन पर अंकित रेडियो की छबि ऐसी गहरी पडी हुई थी कि मेरे लिए तो हमेशा से वह जादू का बक्सा ही रहा , जिसमे से आवाज़ आती थी और वो आवाज़ आकाश से आती थी, इसलिए ही उसे आकाशवाणी कहते हैं , यही मेरी रेडियो के लिए अपनी समझ थी. आज मेरे जीवन का सबसे खास दिन था . मेरी आवाज़ आज पहली बार ऑन एयर (प्रसारित) होने वाली थी .

आज वो सारी बाते याद आ रही थीं जो हमे हमारे सीनियरों ने ट्रेनिंग के दौरान सिखाई थी. छः दिनों का 'वाणी प्रशिक्षण' (ट्रेनिंग ) भी अपने आप मे अद्भुतीय अनुभव था .असल में मुझे तो यह एक ऐसी यात्रा कि तरह लगा जहाँ मुझे इस बात का एहसास हुआ कि मैं उस देश की नागरिक हूँ जिस पर हमें गर्व करना चाहिए . प्रशिक्षण में हमें यह अनुभूति भी हुई कि प्रत्येक हिन्दुस्तानी को सबसे पहले अपने भीतर उन जीवन मूल्यों को समाहित करना चाहिए जो हमारी स्थानीय पहचान होते है.
मेरा विश्वास बढता गया कि सचमुच यह संस्था 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय' जैसे ध्येय सूत्र -वाक्य पर काम करती है,अपने आप में अद्भुयतीय है. प्रारम्भ से ही अपने सिद्धांतों और मूल्यों ,उसूलों पर काम करती इस संस्था ने अभी भी अपनी गरिमा इस प्रतियोगी समय में बनाए रखी है.

इतने सारे नए-नए निजी रेडियो स्टेशन शुरू होने के बाद भी सादगी की चादर ओढ़े आकाशवाणी अभी भी ध्रुव तारे कि तरह मनोरंजन और ज्ञान के आकाश में अपनी चमक बिखेर रहा है.
आकाशवाणी हमारे मन की जिज्ञासाओं तथा उदासी के लिए बेहतर भोजन की तरह उपलब्ध होता है. मिर्च मसाले रहित सात्विक भोजन , जिसमे विविधता होती है पर वो हमारा पूरा पोषण करता है . ट्रेनिंग में सिखाई गयी बातें सिर्फ एक अच्छे उद्घोषक (अनाउंसर) बनाने के लिए ही नहीं थी बल्कि वह व्यक्तित्व विकास के लिए एक कार्यशाला भी थी . अपने आप को एक अच्छा इंसान कैसे बनाया जाए इस बात का पाठ पढाया जाना प्रशिक्षण के साथ-साथ चलता गया था. सबसे पहले हमें जो सिखाया गया वह था- 'श्रोता को सबसे आगे माना जाए, वह ईश्वर तुल्य है, उन्हें पूरे सम्मान और प्यार भरे ढंग से जवाब दिया जाये'. विनम्रता को स्वभाव में लाओ तथा कढवी बात का भी जवाब मुस्कुरा कर दो. सामने वाले के कड़वे बोल पर अपने अच्छे व्यवहार की प्रेम भरी बूँदें उसके मन पर ढंडक पहुंचाती हैं.
आकाशवाणी की लायेब्ररी का अनुभव भी अविस्मरणीय रहा . दुर्लभ गीतों का, महान हस्तियों की आवाजों का खज़ाना वहाँ भरा पड़ा था. सारंगी , बांसुरी ,तबला,आदि जैसे कई भारतीय संगीत के वाद्य यंत्रो से परिचय यहाँ मिलता रहा है. अपनी मिटटी की खुशबू लिए लोक गीत, लोक संगीत, हमारी क्षेत्रीय भाषा को अभी भी इसने सहेज रखा है. शब्दों के सही उच्चारण पर हमें अपनी स्कूली शिक्षा से भी कुछ ज्यादा ही यहाँ सीखने को मिला.
यहाँ काम करने वाले लोग जिनके लिए तो बस यही कहते बनता है -मधुर आवाज़ , सादगी , और हर विषय पर ढेर सारा ज्ञान, यही उनकी सुंदरता है, खूबी है .
आकाशवाणी के साथ उसका विशाल गौरवशाली इतिहास है जो किसी को भी बार बार खुद का अवलोकन करने पर विवश कर देता है , मेरी भी स्थिति कुछ ऐसी ही थी , हालाकि सारे अनाउंसमेंट मै पहले ही लिख चुकी थी .घर पर कई बार आईने के सामने , परिवार के सदस्यों के सामने पढ़ चुकी थी , एक शो तो में अपने सपने में भी कर चुकी थी , पर घबराहट अभी भी ज्यों की त्यों बनी हुई थी. इंदौर केंद्र के स्टूडियो के अंदर आकाशवाणी की चिर-परिचित सिग्नेचर ट्यून को हलके-हलके फेड आउट करते हुए, अनाउंसर के माइक्रोफोन की आवाज पूरी तरह खोलकर , सुबह पांच बजकर पचपन मिनट पर जैसे ही मैंने पहला शब्द बोला- "वंदे-मातरम". मेरा सारा डर समाप्त हो गया और एक बुलंद इरादों वाला विश्वास मुझ में भर गया .
मेरी आवाज़ में 'वंदे-मातरम ' आकाश को चीरते हुए जादुई डिब्बे के माध्यम से न जाने कितने घरों में पहुँच गया था. इसके बाद बंकिमबाबू का लिखा हमारा राष्ट्र-गीत –'वंदे मातरम..वंदे मातरम..सुजलाम ..सुफलाम..मातरम..' बजने लगा . हजारों बार गाए और सुने गीत की पंक्तियों में आज मैं कुछ नया ही अर्थ सुन पा रही थी.

एकता कानूनगो

12 comments:

  1. क्या खूब लिखा है एकता, लेख पढ़ कर आकाशवाणी से तुम्हारे जुड़ाव की झलक मिलती है . सचमुच ऐसी संस्था का हिस्सा होना गर्व की बात है. तुम्हारे साथ मुझे भी ऑल इंडिया रेडियो का काफ़ी ग्यान
    हो गया है, मुझे तो आज भी रेडियो जादू का डिब्बा लगता है और अनाउन्सर एक जादूगर.

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  2. bahut achha likha hai bhabhi aapne....mujhe garv hai ki meri bhabhi all india radio me kaam karti hain !! :)

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  3. A vivid description. Feels like being part of this very special day. With all the best wishes from all of us.

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  4. hamesha ki tarah iss bar bhi "kya khub likha hai".. waise meine tera on air nahi suna but now i can say ki atlist padha to hai... :)
    keep writing.... & all the best..

    Shilpa Tambe

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  5. Priy Ekta main tumhare bachapan se hi tumhare saath rahi hu , Tabse hi tumhare sapno ki sakhshi bhi rahi hu, aur aaj jab tumhare sapne aakar le rahe hai to bahut khushi ho rahi hai, hamesha aise hi kaam karo jo tumhe vastvic khushi de ,Tumhare ujjawal bhavishya ki bahut bahut subhkamnao ke saath preeti

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    1. Thank u so much di.Aap humesha se mere friend,mentor rahe ho.
      kabhi aap se bahut pyaar mila hai to kabhi daat bhi khayi hai aap se bhaut kuch sikha hai aur sikhne ki khosish kar rahi hu.thanks for everything n i always need ur support.

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  6. ekta yeh tumne bilkul sahi likha hai ki aakashvani ne is pratiyogi samay me apni garima apne siddhanton ko banaye rakha hai jo bahut badi baat hai. bhopal me bhai ke ghar ke peeche naye naye makaan ban rahe hain, vahan subah se hi majduron ke transistor par zor-zor se gaane bajne shuru hote to kaam khatam hone tak bajte rehte, yah is baat ka gavah hai ki radio manoranjan ke sath kaam karne ka utsah banaye rakhne me sahi maine me unka pura poshan kar raha hai. tumhare prashikhan ke siddhant jeevan me hamesha sath rahein inhi shubhkamnaon ke saath !!
    TRIPTI BAXI

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    1. Thank u so much Aunty ,mujhe bahut accha laga ki aapko mera article pasand aaya, badho ka aashirwad isse tarah bana rahe to aur bhi likhne ki prerana milti hai.aap se bhavishya me bahut kuch sikhne ko milega .thank u

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