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Tuesday, January 7, 2014

छुपी हुई टीचर

छुपी हुई टीचर

माँ हमेशा आपके साथ होती है. आपके सुख में, आपकी परेशानियों में और यकीन मानिए तब भी जब आप अपनी माँ से मीलों दूर होते है. जब भी आप असमंजस में होते है,जब भी आपका विश्वास डगमगाता है वो होती है आपके आस-पास. आपके अंदर मौजूद उन संभावनाओ से आपको अवगत कराती है जो आपको पता तक नही होती . वो बताती है की बस सही दिशा में सकारात्मक सोच के साथ अपने पंख फैलाने भर की देर है, फिर तो पूरा आसमान तुम्हारा है. उन पंखों को मज़बूत बनाने और उनके सही इस्तेमाल का तरीका समझाने की हर समभव कोशिश भी माँ ही करती है.

आज जब घर जमा रही थी, अचानक अपनी पुरानी किताबों की धूल साफ करते हुए एक किताब में से माँ के द्वारा काटी कई न्यूज़ पेपर की कटिंग जो वो अक्सर मेरे पढने के लिए सम्भाल कर रखती थी निकल आई. पहले समझ नहीं थी और कोर्स की पढाई के कारण उन पर ध्यान नही दिया इसलिए कभी उन्हे पढना नही चाहा. आज पढने की कोशिश करने लगी तो आँखे पारदर्शी  मोतियों से भर आईं. 

कई तरह की पेपर कटिंग  मेरे सामने थीं जो मुझे अन्दर तक भिगो रही थीं। चूकि मैं रेडियो से सम्बन्ध रखती रही हूँ,  अलग-अलग तरह के प्रोग्राम बनाना पडते रहे हैं. मम्मी ने मेरी मदद की दृष्टि से कई गीतकारों,संगीतकारों,डायरेक्टरों, फिल्मो के बारे में जानकारी संभाल रखी थी. इसके अलावा घर को कैसे सजायें, खाने बनाने की बहुत सारी विधियाँ, दुनिया के अलग अलग क्षेत्र में अपना मुकाम बना चुकी महिलाओं की कहानियाँ, जीवन में सफलता के लिए आर्ट ऑफ़ लिविंग के कुछ लेसंस, और एक कविता की कटिंग श्री हरिवंश राय बचन द्वारा रचित प्रसिद्ध और प्रेरक कविता की पंक्तिया जो कुछ इस प्रकार थीं- 
  
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
मेहनत करने वालो की कभी हार नहीं होती
नन्ही चीटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर बार बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढकर गिरना, गिर कर चढना न अखरता है
आखिर उसकी मेहनत  बेकार नहीं होती 
और कोशिश करने वालों की हार नही होती..... 

इसीलिए कहा गया है माँ हमारी पहली शिक्षक होती है .जब हम माँ के साथ होते हैं हमें उसकी इन खूबियों की जानकारी इतनी नही होती, होती भी है तो उसका हमारे विकास में कितना अदृश्य योगदान और महत्व होता है,यह बहुत बाद में समझ आता है। माँ तुझे सलाम... !  
एकता कानूनगो बक्षी


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4 comments:

  1. अच्छा है। ऐसे ही लिखती रहो।

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  2. aapne mujhe mere bachpan ki yaad dila di, kitni cutting mummy mujhe padhne ke lye deti thi...mai most of the times nahi padhti thi....ab un sab baaton ki yaad aati hai...kal bangalore se aane ke baad raat ko mummy se baat hui...jo vo mujhe samjha sakti thi,,,shayad papa aur kaku bhi nahi samjha sakte the...thankyou so much for this post bhabhi ! loved it

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