रंग पंचमी की शुभकामनाएँ
रंग पंचमी पर मालवा में बहुत धूम होती है . इस दिन कोई भी रंगों से बच नहीं पाता . ऐसे में एक बार मुझे भी इंदौर विविधभारती में कार्यक्रम देने का मौका मिला था .
किसी तरह पापा की कार में बचते बचाते स्टूडियो में पहुच ही गयी थी .वहा कार्यक्रम पेश करते हुए बार बार यही लग रहा था रंगों से भरे हमारे बॉलीवुड के नगमो ने कैसे होली के रंगों में कई कई और रंग भी घोल दिए हैं . रूठना मनाना, छेड़ छाड़, हँसी ठिठोली और बहुत सारा प्यार.
प्रोग्राम के लिए होली के गीतों को चुनते समय एक बात यह भी महसूस हो रही थी की असली ख़ुशी लोक रंग से ओत-प्रोत स्वाभाविक सादगी में ही है
किसी तरह पापा की कार में बचते बचाते स्टूडियो में पहुच ही गयी थी .वहा कार्यक्रम पेश करते हुए बार बार यही लग रहा था रंगों से भरे हमारे बॉलीवुड के नगमो ने कैसे होली के रंगों में कई कई और रंग भी घोल दिए हैं . रूठना मनाना, छेड़ छाड़, हँसी ठिठोली और बहुत सारा प्यार.
प्रोग्राम के लिए होली के गीतों को चुनते समय एक बात यह भी महसूस हो रही थी की असली ख़ुशी लोक रंग से ओत-प्रोत स्वाभाविक सादगी में ही है
श्री ओम वर्मा अंकल के इस दोहे से मैने कार्यक्रम की शुरुआत की थी-
वंशी मादल बज उठे,मौसम ने दी ताल,
महुआ मदमाने लगा,उडने लगा गुलाल।
महुआ मदमाने लगा,उडने लगा गुलाल।
इसके बाद मैने कार्यक्रम का पहला गीत बजाया। यादो के इस सफर में आप भी सुनिए आज की इस रंग पंचमी पर वही गीत.. ...
No comments:
Post a Comment