बात
घर की बालकनी से
घर की बालकनी से सामने वाली बिल्डिंग के फ्लेट का किचन एरिया दिखाई देता है . हर बार उनकी किचन विंडो में लोग काम करते हुए दिखाई देते हैं .कल जब शाम को अकस्मात उधर ध्यान गया तो यह जाना की किचन में अधिकांश पुरुष ही काम कर रहे थे . यह उन घरों का भी दृश्य था जहाँ महिलाएँ ऑफिस का काम नहीं करती केवल घर का काम संभालती हैं . पुरुष समाज में इस तरह की संवेदना देखना सुखद प्रतीत होता है. जहा महिलाएँ कई वर्षो से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करती आ रही हैं कभी घर के बाहर तो कभी अपनों के बीच. इस तरह पुरुषों का यह कदम बहुत सकारात्मक है . खासकर हमारी नई पीढ़ी की सबसे बद्दी खासियत यही है कि यहाँ काम का किसी तरह से भेद नहीं है सारे काम दोनों स्त्री-पुरुष मिलजुल कर करते हैं ऐसे में किसी भी एक व्यक्ति की किसी पूर्वाग्रह के कारण कोई विशेष कार्य को करने की ज़िम्मेदारी नहीं मानी जाती. उन सभी पुरुषों को सलाम जिनके सहयोग से आज की स्त्री को अधिक खुला आसमान मिल रहा है,जहाँ उसको अपनी चमक और आभा दिखाने का भरपूर अवसर मिल पा रहा है।
घर की बालकनी से
घर की बालकनी से सामने वाली बिल्डिंग के फ्लेट का किचन एरिया दिखाई देता है . हर बार उनकी किचन विंडो में लोग काम करते हुए दिखाई देते हैं .कल जब शाम को अकस्मात उधर ध्यान गया तो यह जाना की किचन में अधिकांश पुरुष ही काम कर रहे थे . यह उन घरों का भी दृश्य था जहाँ महिलाएँ ऑफिस का काम नहीं करती केवल घर का काम संभालती हैं . पुरुष समाज में इस तरह की संवेदना देखना सुखद प्रतीत होता है. जहा महिलाएँ कई वर्षो से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करती आ रही हैं कभी घर के बाहर तो कभी अपनों के बीच. इस तरह पुरुषों का यह कदम बहुत सकारात्मक है . खासकर हमारी नई पीढ़ी की सबसे बद्दी खासियत यही है कि यहाँ काम का किसी तरह से भेद नहीं है सारे काम दोनों स्त्री-पुरुष मिलजुल कर करते हैं ऐसे में किसी भी एक व्यक्ति की किसी पूर्वाग्रह के कारण कोई विशेष कार्य को करने की ज़िम्मेदारी नहीं मानी जाती. उन सभी पुरुषों को सलाम जिनके सहयोग से आज की स्त्री को अधिक खुला आसमान मिल रहा है,जहाँ उसको अपनी चमक और आभा दिखाने का भरपूर अवसर मिल पा रहा है।
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