बात
हर दिन नया दिन
कुछ दिनों से किताबों से घिरी हुई हूँ. प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए समय बहुत कम बचा है लेकिन अपनों का साथ और सहयोग होने से काफी कुछ पढ़ पा रही हूँ . चेहरे पर एक अलग ही तरह की थकान का तनाव दिखाई पढ़ रहा है जैसे कोई लेप लगा रखा हो और आंखे हमेशा से कुछ ज्यादा मोटी हो गईं हैं. इसके बावजूद भी कही न कही अंदर कुछ खनक सी है, जैसे कोई धुन बज रही हो, अंदर से मन बहुत खुश है , बचपन की खिलखिलाहट जैसे गूंज रही है भीतर.
एक बात और समझ आ रही है वो यह कि जब हम छोटे होते हैं तब इतने खुश और ऊर्जावान क्यों रहते हैं. जवाब साफ़-साफ मिल रहा है कि तब हमारा समझ का गिलास खाली था और हर दिन हम कुछ नया सीख रहे थे .हमारे सामने हर दिन नयी चुनौतियाँ आ रही थीं और बिना किसी चतुराई के उसे पूरा करने का जोश भी बना रहता था.
“हर दिन नया होता है” इस वाक्य का सही अर्थ अब समझ आने लगा है. यही लगा रहता है मन में कि हर दिन कुछ नया सीखें, कोई भी दिन अपने हाथ से जाने ना दें. कहा जाता है गंगा में स्नान कर हमारे सारे पाप धुल जाते हैं लेकिन जब हम एक डुबकी ज्ञान के सागर में लगाने का प्रयास करते हैं, अपनी समझ और विवेक में बढोतरी के साथ-साथ खुशी और अपनेपन से भरे कई मोती भी हमें अनायास मिलने लगते हैं.
एकता
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