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Tuesday, October 27, 2015

स्टूडियो से ...



स्टूडियो से ..

मेहमूद के एक व्यक्तित्व में कई व्यक्तित्व समाए हुए थे। उन्हें संगीत की बेहतर समझ थी। पार्श्वगायक मन्ना डे ने जितने नटखट गाने गाए हैं, ज्यादातर का पार्श्वगायन मेहमूद के लिए हुआ है। मन्ना डे ने अपनी आत्मकथा में मेहमूद का आभार भी माना है।
जब मेहमूद फिल्म निर्माता बन गए तो उन्होंने अनेक संगीतकारों को मौका देकर आगे बढ़ाया। मिसाल के बतौर आडी बर्मन (छोटे नवाब), राजेश रोशन (कुंआरा बाप) तथा बासु-मनोहारी (सबसे बड़ा रुपैय्या) के नाम गिनाए जा सकते हैं।
जब कॉमेडियन के रूप में वह फिल्मों के लिए अनिवार्य हो गए तो छोटे बजट की फिल्मों में उन्हें हीरो के रोल मिलने लगे। छोटे नवाब (निर्माता-मेहमूद), फर्स्ट लव, प्यासे पंछी, कहीं प्यार ना हो जाए, शबनम, भूत बंगला, नमस्ते जी जैसी फिल्में प्रमुख हैं। आई.एस. जौहर के साथ भी मेहमूद की ट्यूनिंग उम्दा रही। जौहर-मेहमूद इन गोआ के बाद जौहर-मेहमूद इन हांगकांग इस जोड़ी की यादगार फिल्में हैं।
साठ के दशक में मध्य से हिन्दी फिल्मों के लिए मेहमूद का फिल्म में होना उसकी सफलता की गारंटी बन गया था। इस दौर में बड़े बैनर, बड़ी फिल्में और बड़े सितारों के साथ काम करने का मौका मिला। ऐसी फिल्मों का यहां सिर्फ उल्लेख किया जा सकता है- पत्थर के सनम, दो कलियां, नीलकमल, औलाद, प्यार किये जा, हमजोली, पड़ोसन आदि।
फिल्म पड़ोसन मेहमूद के करियर की ऑल टाइम ग्रेट फिल्म है। यदि पांच कॉमेडी फिल्मों की तालिका बनाई जाए, तो निश्चित रूप से उनमें से एक पड़ोसन रहेगी। शुभा खोटे के बाद कॉमेडी-पार्टनर के रूप में दूसरी लेडी हैं अरुणा ईरानी। मेहमूद का साथ पाकर अरुणा का करियर इतना आगे बढ़ गया कि मेहमूद ने अपने प्रोडक्शन हाउस में अमिताभ बच्चन को हीरो बनाकर फिल्म बॉम्बे टू गोआ (1972) बनाई। आइए अब सुनते हैं इन्ही मेहमूद साहब पर फिल्माए इस शानदार गीत को जिसमें उन्होने दादा स्व. पृथ्वीराज कपूर, पिता स्व. राजकपूर, और बेटे रणधीर कपूर से प्रेरणा लेते हुए कॉमेडी सीक्वेंस में जानदार अभिनय किया था।
आवाजें किशोर कुमार,मुकेश और स्वयं मेहमूद जी की है

https://youtu.be/4SdBERMTeo4

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