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Tuesday, October 27, 2015

वेक अप !!


वेक अप !!

कुछ दिनों पहले ही मेरे एक परिचित ने बड़े ही विश्वास के साथ कहा- भैया रेडियो के दिन तो गए , हम तो कई सालों पहले ही उसे कबाड़ी को दे चुके हैं . कौन सुनता है आज उसे । ऐसे लोगो की बेबाक बात को रोकना मुश्किल है । पर सच इस बात से कही परे है। आज सबसे ज्यादा सुनने जानने के लिए रेडियो भी महत्वपूर्ण साधन है। आप किसी भी चौराहे पर जाकर खड़े हो जाएं, कहीं न कहीं से आपके कानो में कोई न कोई मधुर ध्वनि सुनाई दे ही जायेगी . समय के साथ हर चीज़ कई बार आउटडेटिड हो जाती है और नयी चीज़े उसकी जगह ले लेती है , ज़रा गौर से देखिये रेडियो आज एक बड़े से डब्बे के कद में भले ही नहीं है लेकिन आज वो आपको आपके मोबाइल में मिलेगा, आपकी कार में जब आप अकेले हों तब भी, और जब आप इन्टरनेट का प्रयोग कर रहे हो, अपने देश से कही दूर बैठे हों, तब ज़रा अपने देश की किसी रेडियो चैनल को ऑनलाइन सुनकर देखिये कितना सुकून देता है . आल इंडिया रेडियो की तो बात ही निराली है सुबह 5 बजकर 55 मिनट पर किसी दिन tune करके देखिये.. एनाउंसर सुबह सुबह आपको वन्दे मातरम कहते हुए सुनाई देगा वो आपके लिए सुबह 4 बजे का जगा हुआ होता है और आपके दिन को खुशनुमा ,संगीतमय और जानकारी युक्त बनाने के लिए सक्रिय हो जाता है। चाहे उसके निजी जीवन में कितनी ही उथल पुथल क्यूँ न मची हुई हो आपके समक्ष आपको खुश करने का भरपूर प्रयास करता है। लोगों को लगता है की रेडियो मात्र बातचीत और लफ्फाजी करते रहना या गाना-बजाना मात्र है। सच तो यह है कि ऐसे कहने वाले को समय निकाल के एक दिन पूरा दिन रेडियो सुनना चाहिए तब उसे पता चलेगा कि दिन ख़तम होते होते आपके पास कितना सारा ज्ञान और सकरात्मक सोच का संचार हो गया है . उसके लिए अनाउंसर और कार्यक्रम प्रोडुसर और उसकी टीम के कठिन परिश्रम और अपने काम से भावनात्मक तरीके से जुडे होने के कारण ही प्रोग्राम आप तक पंहुच पाते हैं। इसके साथ ही एक अच्छे एनाउंसर को अपने आस पास मौजूद मशीनों ,कम्प्यूटरों, कंसोल , सीडी प्लेयर से तारत्म्य बैठाते हुए विचारों और आवाज़ का एक खूबसूरत ताना बाना भी बुनते हुए चलना पडता है। तब जाकर एक सुन्दर प्रस्तुति आपके समक्ष हो पाती है। ऐसे में अगर उसकी इतनी मेहनत के बाद कोई विपरीत टिप्पणी का सामना होता है तो अनाउंसर के मन को ठेस तो पहुंचेगी ही। तो जरा अनाउंसर के प्रति थोडा सा सहयोग बनाते हुए अपनी विनम्र प्रतिक्रिया दे कर उसके काम को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। यही शायद बेहतर भी होगा। दोस्तों अगर किसी दिन सारी आधुनिक टेक्नोलॉजी मे कोई समस्या आजाए और सूचना के अन्य साधन काम न कर पाएम तो निश्चित ही रेडियो ही वह साधन हो सकता है जो दुनिया से आपको लगातार जोडे रहेगा। जैसा कि हमे इस क्षेत्र में आने के समय सबसे पहले सिखाया गया है कि विनम्रता इस प्रोफेशन की विशेषता है, तो मैं पूरी विनम्रता से कहना चाहती हूँ कि रेडियो और उससे जुडी किसी बात और व्यक्ति पर टिप्पणी करने से पहले आप रेडियो को एक बार ध्यान से ,मन से बगैर किसी पूर्वाग्रह के सुने... सुनकर देखें वो आवाज़ जो आपके जीवन में सकारात्मक उर्जा भर देती है। आप से बस इतना कहना चाहूँगी कि अपनी बात रखने का सबको हक है पर किसी भी काम को छोटा कहना यह आपके अल्प ज्ञान को ही दर्शाता है और कुछ नहीं।

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