बात
किताबों में कई बार पढ़ा था विकासशील देश और विकसित देश .भारत एक विकासशील देश है . पहली बार अवसर मिला इस अंतर को बारीकी से समझने का . वाकई खाई बहुत गहरी और बडी है . यक़ीनन मेरा यह वाक्य आपको सकारात्मक नहीं लगेगा पर समझ नहीं आता कि विकासशील देश वहां तक कैसे पहुचेगा और शुरुआत कहां से करेगा . आजादी के बाद भारत ने कई मुकाम हांसिल किये हैं क्योकि उसके अन्दर एक मज़बूत इरादा था पर समय के साथ वो शायद कमजोर और मलिन होता जा रहा है . हम सब दौड लगा रहे है पर सबकी दौड केवल अपने स्वार्थ तक ही सिमित रह गई है .
अपने छोटे से प्रवास में भी विकसित देश की कई बातें सीखने और अपनाने जैसी लगी . लेकिन जिसने मुझे गहरे से छुआ वो था वहां का समझदारीपूर्ण खुलापन. जो हर इंसान को अपने हिसाब से जीने की आजादी देता है वो देश ,और सबसे अच्छी बात मुझे महिलाओं की स्थिति लगी . सच कहूं यह बात आपको तीखी लग सकती है वहाँ महिला सिर्फ देवी नहीं है वो इंसान भी है उसे भी जीना है .भारत में उसे भगवान का दर्जा देकर जिम्मेदारियों में जकड सा लिया गया है . यहाँ उसे अपने पहनावे में बदलाव लाने को कहते है,उस पर ड्रेस कोड लागू करने के प्रयास होते रहते हैं। असल में जहां बदलाव की वास्तविक जरूरत है वो है समाज की सोच का बदलना. स्त्री और उससे जुडी बातों को बगैर किसी पूर्वाग्रह के साथ समझना।
आपको लग रहा होगा की मुझ पर विदेशी रंग चढ़ गया है,छोटे मुंह बडी बात लग रही हो .लेकिन यह सच है , हमारे देश की अच्छाएयों को हम नकार नहीं सकते में नतमस्तक हूँ पर ज़रा आप ही देखिये की जब हमें इतनी मेहनत करनी है अपने आप को वहां तक पहुचाने में , तो हम आज भी ऐसी बातों में समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं। . आज सब से पहला कदम जिसकी हमे जरूरत है वो है हमारी सोच और विचारों के खुलेपन की. यहाँ मेरा आशय फूहडता और् अनैतिकता से कतई नही है। .
आपको लग रहा होगा की मुझ पर विदेशी रंग चढ़ गया है,छोटे मुंह बडी बात लग रही हो .लेकिन यह सच है , हमारे देश की अच्छाएयों को हम नकार नहीं सकते में नतमस्तक हूँ पर ज़रा आप ही देखिये की जब हमें इतनी मेहनत करनी है अपने आप को वहां तक पहुचाने में , तो हम आज भी ऐसी बातों में समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं। . आज सब से पहला कदम जिसकी हमे जरूरत है वो है हमारी सोच और विचारों के खुलेपन की. यहाँ मेरा आशय फूहडता और् अनैतिकता से कतई नही है। .
No comments:
Post a Comment