दुनिया मेरे आगे
जीवन एक उत्सव
एकता कानूनगो बक्षी
देखा जाए तो हमारा जीवन भी किसी ऐसी फिल्म की तरह है ,जिसकी लम्बाई का हमे ज्ञान नहीं. किस पल ‘दी एंड’ हो जाए, कह नहीं सकते. इसलिए हर दिन, हर पल में एक छोटी सी ज़िन्दगी मौजूद होती है उसे ही पूरी ज़िन्दगी मान कर जीने में ही समझदारी है.
ऐसे ही कुछ समझदार लोग अपने जीवन को किसी उत्सव की तरह जीते हैं. उनकी उपस्थिति वातावरण में सकारात्मकता की अदृश्य महक लिए होती है. उनके आभा मंडल से सारा माहौल जैसे दीपावली के दीपों–सा जगमग करता अनुभूत होता है. मुख मंडल से जादू बिखेरती मुस्कराहट बिखरती रहती है, और समूची देह में उम्मीदों, हौसले और धैर्य के फूलों की कोमलता मन को शांत कर देती है. ऐसे लोग जब हमेशा के लिए हमें छोड़ कर चले जाते हैं तो उनके अभाव की पूर्ती उनकी स्मृति, उनका आवास, उनकी वस्तुएं, उनके काम और उनके विचार करते हैं. ऐसे लोग दुनिया से जरूर विदा हो जाते हैं मगर शायद ये लोग नश्वर होते हैं.और हमेशा हमारे साथ किसी न किसी रूप में बने रहते हैं.
हम जैसे आम लोग ताउम्र मोह-माया और बाहरी आडम्बरों के चक्कर में अपने आप को अति व्यस्त रखते हैं लेकिन जब अचानक हुई किसी ख़ास की मौत, अपने प्रिय की बिदाई हमें रुक कर सोचने पर मजबूर कर देती है. हमारे हाथ पैर कुछ समय के लिए निष्क्रीय से हो जाते हैं, दिल कहीं गहरे उतर जाता है. अपने भीतर अंतर्मन की ओर डूबकी लगाते हैं जहां सब कुछ खाली-खाली सा लगता है. वर्षों से अर्जित सारी शानोशौकत के बीच हम अपने आप को अकेला महसूस करने लगते हैं . सुख सुविधाओं से संपन्न, भरे-पूरे परिवार के बीच भी किसी ख़ास के न रहने पर किसी बियाबान में अपने आपको गुम होता महसूस करने लगते हैं.
दुनिया से विदा होने के पहले वो सभी चीज़े जो लगातार बिना किसी की परवाह किये हमने इकट्ठा की थीं, वे सब हमारे जाने के बाद भी काफी लम्बे समय तक मौजूद रहती हैं. मकान,कार, सारी भौतिक सुख सुविधाएं यहीं छूट जाती हैं. , बहुत जतन से सम्भाला गया यह शरीर म्रत्यु के पश्चात कुछ समय तक जस का तस बना रहता है और फिर धीरे धीरे वो भी प्रकृति के तत्वों में विलीन हो जाता है. हमेशा के लिए जो चीज बची रहती हैं वह तो केवल हमारे किये गए काम, हमारे विचार और हमारे स्वभाव और आचरण की खुशबू ही होती है. असल में यही तो सबसे बड़ी जमा पूंजी है जिसका आप जीवन भर संचय करते रहिये इसे न चोर चुरा सकता है और न ही इसके लिए जोड़ घटाओ की किसी हिसाब वाली डायरी रखने की ज़रूरत रहती है. शायद जीवन में सुख-चैन और आनंद की असरदार दवा भी यही है कि हम हमेशा खुश रहें और सबको खुशियाँ लुटाते रहें.
जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई शायद यही है की हम सब के पास गिनती की साँसे होती हैं. सभी का अंत भी निश्चित है. प्रकृति भी हमे बार बार इशारों में ये बात रोज़ याद दिलाती है , सुबह का उजाला अँधेरा बन कर दृश्य में विलीन हो जाता है. प्रत्येक मौसम बदलता है. ऋतुएँ आती-जाती हैं., सृष्टि में सब कुछ निरंतर गतिशील है. हमारे शरीर की झुर्रियां बताती रहती हैं कि हमारे शरीर ने जीवन का कितना रास्ता तय कर लिया है.
तो क्या बिछोह इस जीवन का वाकई इतना गंभीर मुद्दा है ! शायद नहीं. जीवन एक उत्सव है . जीवन जीना वाकई एक कला है. पिछले दिनों जब मेरी दादी की अस्सी साल की उम्र में मृत्यु हुई तो उनकी अंतिम बिदाई बैंड बाजे के साथ की गयी. मुझे लगा जैसे एक बहुत बड़े महान कलाकार का निधन हुआ हो. मेरा दुखी मन उनके लिए गर्व से भर गया कि दादी ने जीवन के अपने सारे रोल बखूबी निभाए.
उनके जाने के बाद स्मृतियों में जो रह गया है वह प्रेरित कर रहा...जीवन में सब के साथ मिलकर ठहाके लगाइए...खूब प्यार कीजिये सबको...,अपने काम में तल्लीन हो जाइये ,संसार को निहारिये , एक पर्यटक की तरह जीवन के विभिन्न स्वाद, रंग और सुगंधों का लुफ्त उठाइये. किसी भी विपरीत परिस्थित को लेकर बहुत परेशान न हो जब आप ही यहाँ अस्थायी है फिर वो तो मात्र कुछ समय के लिए आपको नए अनुभव और रोमांच देने को आई है निर्भीक होकर सामना करें .
अब यह पूरी तरह हम पर निर्भर करता है की हम अपने किरदार को किस तरह निभाते हैं. हमारी मुलाक़ात जीवन रूपी फिल्म के अन्य किरदारों से भी होती रहेंगी जो हमारी फिल्म को और भी दिलचस्प बनाते जाते हैं पर हमे अपनी भूमिका पर केन्द्रित रहना ज़रूरी है. नहीं तो कहानी दिशाहीन हो सकती है, जीवन विचलित हो सकता है.
एकता कानूनगो बक्षी
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