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Tuesday, July 24, 2018

5 मार्च 2018 / जनसत्ता / प्रेम का जीवन

दुनिया मेरे आगे
प्रेम और वसंत में जीवन
एकता कानूनगो बक्षी

इन दिनों प्रकृति में मस्त कर देने वाली वासंती हवाएं चल रहीं हैं. हालांकि प्रकृति का हर रूप मनमोहक ही होता है, देखने की अपनी दृष्टि होना चाहिए, फिर भी सर्वाधिक लोकप्रिय और दिलकश ‘ऋतुराज’ के मुकुट से सज्जित वसंत ऋतु के आगमन के बाद तो  प्रकृति का हर तेवर ही मंत्रमुग्ध करने वाला होता चला जाता है ।

वैसे तो हमारे यहाँ वसंत ऋतु प्रायः फरवरी से मार्च तक मानी गयी है । इस ऋतु के आते ही सर्दी धीरे-धीरे कम होने लगती है..गुनगुनी धूप भाने लगती है , मौसम सुहावना हो जाता है. पौधों पर पुराने पत्तों के झड़ने और नई कोपलें फूटने की शुरुआत होने लगती है.. खेत की फसलें हरी होकर लहलहाने लगतीं है। गेहूं और चने की बालियाँ दानों से भर जाती हैं.. सरसों के पीले फूलों की चादर खेतों में वासंती हवा से लहराने लगती है..   सम्पूर्ण वातावरण में उमंग और उल्लास से भरी अद्भुत महक जैसे कोइ जादू –सा मन पर करने लगती है...सब कुछ बहुत आत्मीय, सुखद और प्रसन्न लगने लगता है। साहित्यसंगीत में भी वसंत का अक्सर जिक्र मिलता है. यहाँ तक की भारतीय संगीत में एक विशेष राग का नाम ही ‘वसंत’ नाम से है।

ऐसे मनमोहक वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होना स्वाभाविक ही है। प्रेम भी एक ऐसा ही सामान्य और स्वाभाविक मानवीय भाव है। वसंत के सन्दर्भ में कल्पना करते ही सबसे पहले ‘प्रेम’ का ही स्मरण होता है. असल मे प्रेम करना मनुष्य की अनेक गुणों और प्रवृत्ति में से वह एक है जिसे सबसे ऊंचा स्थान प्राप्त है.  एक तरह से प्रकृति और जीवन के विकास के सबसे पहले चरण से यह गुण प्राणियों का साथ निभाता आया है.  उसके अंदर ये गुण स्वतः ही मौजूद है। चाहे वो इंसान हो जानवर या कोई वनस्पति । जैसे ही वह प्रेम के संपर्क में आता है.. वह खिल उठता है... उसी तरह जिस तरह वसंत में प्रकृति का हर रंग हमे खिला खिला नज़र आता है।

जब तक भीतर प्रेम है हमारी संवेदनशीलता बनी रहती है। ग़ुस्से से भरे चेहरे पर मासूमियत देखी नहीं जा सकती.. छोटा बच्चा मासूम दिखता है क्योंकि  सदैव प्रेम से भरा होता है... और हमारे बुजुर्ग जो स्नेह और शुभेच्छाओं से लबालब होते हैं..कितने ममत्व से भरे होते हैं उनके चेहरे... वे भी काफी मासूम ही लगते हैं क्योंकि उनकी नाराजगी में भी प्रेम की बारिश हो रही होती है .. इसलिए कभी-कभी उनके तिलमिलाए चेहरे को देखकर भी निर्मल सी मुस्कान और ढेर सारा प्यार उमड़ ही आता है। इसके विपरीत प्यार की कमी में कठोर हो चुके चेहरे भी अक्सर हमारे आस-पास देखे जा सकते हैं।

हम अपने जीवन मे कई बार, कई तरह से प्यार करते हैं या कहें कि प्रेम ही हमारे जीवन को पूर्णता देता है। जब हमारा जन्म होता है बिना समझे हम अपने आसपास के लोगो से प्यार करने लगते हैं.. उन्हें देख मुस्कुराते हैं । कभी कभी तो हम आईने में खुद का प्रतिबिम्ब देख कर भी मुस्कुरा उठते है, हम अपनी देह और ह्रदय से प्यार जो करते हैं.

बहुत लम्बी सूची बनाई जा सकती है उन सबकी जिनसे हम प्यार करते रहे..करते रहेंगे.. हमारे रिश्तेदार, मित्र ,हमारा जीवनसाथीहमारे शिक्षक ,पड़ोसी पालतू जानवर ,किताबे ,संगीत यहां तक की हमारी पहली गाड़ीहमारे कपड़े हमारा देशहमारा शहर ,शहर की वो गली हमारे सहयोगी जो हमारे लिए काम करते हैं ,रास्ते मे मिलने वाले राहगीर जिनसे अक्सर यात्रा में टकरा जाते हैं..कभी लंबा तो कभी छोटा-सा होता है प्रेम का यह समय..कभी कभी जीवन भर का जैसे प्रकृति से हमारा प्रेम...
कभी कभी लगता है अगर ये सब लोग ना हो तो जीवन ही किस काम का या फिर इन सब से ही हमारा जीवन बनता है । इनके साथ से हमारा जीवन पूर्णता लिए हुए है और हम प्रसन्न भाव मे है क्योंकि इन सबसे जुड़ा होता है हमारा ‘प्रेम’ का नाता।
पर यह नाता इतना सुरक्षित भी नहीं है पूरी तरह से...  प्रेम की वासंती राह में बहुत सारे अवरोधक मौजूद हैं.. ईर्ष्याक्रोधलालचस्वार्थ, और भी अनेक जिनसे दूरी के लिए हमारे बुजुर्ग और हितचिन्तक सदैव आगाह करते रहे..

प्रेम एक ऐसा दीया है जो अपनी मद्दिम रोशनी से अंधकार मिटाने की क्षमता रखता है,जबकि क्रोध और अन्य अवरोधक दुर्गुण किसी चिंगारी की तरह सब सुखों और खुशियों को भस्म कर जीवन को अन्धकार में धकेल देते हैं. 

जब हम किसी से प्रेम करते है तो उसका पोषण करते है, जोड़ने का काम करते हैं.. ये एक रचनात्मक सकारात्मक पहल होती है.. वहीं इन अवरोधकों से हम वैमनस्य और ध्वंस की  विनाशकारी पहल करते है, जिससे सब कुछ बंजर होता चला जाता है ।

ऋतु वसंत में पीले खेतो के बीच लहलहाती हवाओ में, बगिया के फूलों पर मंडराती ख़ूबसूरत रंगबिरंगी तितलियाँ और सुरीले पंछी ... एक साथ राग वसंत पर थिरक रहे हैं..  प्रेम से ओत प्रोत हैं शायद ।

यह स्थापित सत्य है.. सदियों से यही सुनते कहते आये हैं.. वसंत प्रेम का सन्देश लेकर आता है... इसलिए प्रेम को ज़िंदा रहने दीजिये...

एकता कानूनगो बक्षी

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