आज सुबह सवेरे में मेरी कविता पढ़े।
कविता
जनरेशन गैप
एकता कानूनगो बक्षी
घड़ी के मिनिट और सेकंड के काँटो
की तरह अलग है दोनों की रफ्तार
पर मकसद एक है
गर्म रक्त का जोशीला प्रवाह है इधर
तो उधर भी अनुभव के समुद्र में ज्वारभाटा आता रहता है समय समय पर
विचारों का टकराव होता है अक्सर
पर निकल ही जाता है अमृत हर मंथन पर
जीवन डगर पर साथ चल रहे दो पथिक
एक दूसरे में खुद को ढूंढते से प्रतीत होते हैं
कभी छायादार वृक्ष बन जाता है एक
तो लाठी बन पार करा देता है दूसरा दुर्गम रास्ता ।
एकता कानूनगो बक्षी
कविता
जनरेशन गैप
एकता कानूनगो बक्षी
घड़ी के मिनिट और सेकंड के काँटो
की तरह अलग है दोनों की रफ्तार
पर मकसद एक है
गर्म रक्त का जोशीला प्रवाह है इधर
तो उधर भी अनुभव के समुद्र में ज्वारभाटा आता रहता है समय समय पर
विचारों का टकराव होता है अक्सर
पर निकल ही जाता है अमृत हर मंथन पर
जीवन डगर पर साथ चल रहे दो पथिक
एक दूसरे में खुद को ढूंढते से प्रतीत होते हैं
कभी छायादार वृक्ष बन जाता है एक
तो लाठी बन पार करा देता है दूसरा दुर्गम रास्ता ।
एकता कानूनगो बक्षी

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