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Monday, March 25, 2019

कविता संक्षिप्त का विस्तार(1 ऑक्टोबर 2018)

आज सुबह सवेरे में मेरी कविता पढ़ें।

कविता
संक्षिप्त का विस्तार

एकता कानूनगो बक्षी

ब्रह्मांड के रहस्यों की पड़ताल करता वैज्ञानिक
कुछ पंक्तियों में ही दे देता है ज्ञान का  सूत्र

प्रकृति को देखा है
इशारों में अपनी बात कहते हुए
बारिश का संकेत देते हैं  बादल
ठंडी हवाएं पैगाम देती है जाड़े के आगमन का

चेहरे से पता चल जाता है जरूरतमंद का दुख
हिसाब नही देना होता उसे
कठिनाइयों का विस्तार से
कंधे पर रखा हाथ
हौसला देता है बिना कुछ कहे

संक्षिप्त का विस्तार सम्भव है
योजनाओं की बात हो जब
ईमानदार तथ्यों के साथ

संक्षिप्त में दिया निर्देश
बन जाता है सबब शीघ्र कार्यान्वयन का
कम शब्दों में कहने का हुनर
बचा लेता है उबाऊ भाषणों से

संवेदना का  बीज
रचनात्मकता से भर देता है
दो पंक्तियों की कविता
धरती आकाश को बाहों में भर लेती है।

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