अपने शहर की सुबह
हर शहर की अपनी एक अलग सुबह होती है ।और जब बात हो हमारे देश की जहा इतनी भिन्नताएं है तो फिर तो यह बात पूरी तरह पक्की हो जाती है की हर सुबह अपने साथ उस क्षेत्र की ख़ास भीनी भीनी महक छोड़ जाती है।
वैसे तो थोड़े समय बाद उन शहरों की सुबह अपनी जानी पहचानी सी लगने लगती है जहां हमने अपना कुछ समय बिताया होता है। वहां के पर्यावरण और खान पान का असर हमारे ऊपर हुए बिना नहीं रहता।चाहे वो मुम्बई की वडा पाँव की खुशबू और भागते दौड़ते क़दमों की आहट लिए कोई सुबह हो या फिर तहजीब और नवाबी ठहराव लिए बिरयानी और इडली डोसे की महक लिए हैदराबाद की डिजिटल भोर हो।
और उस शहर की सुबह के तो कहने ही क्या ! जहाँ गुजारी कई दोपहरें और सुहानी शामें अपने दोस्तों के साथ मस्ती करते गुजारीं हों। सुबह से लेकर शाम तक मौज मस्ती के साथ स्कूल , कॉलेज और कोचिंग के लिए यहाँ की गलियों, सड़को पर दौड़ती रही मेरी प्यारी स्कूटी ।
जब हम अपने शहर से दूर चले जाते हैं,तब उसका आकर्षण और ज्यादा लुभाने लगता है। कुछ ज्यादा ही उजली लगने लगती है अपने शहर की सुबह ।
मेरे शहर इंदौर की सुबह होती है ढेरो अखबारों से जो कि इस शहर का आईना भी है । दरअसल इंदौर एक सांस्कृतिक और कला प्रमुख शहर रहा है।यहां से कई ख्यात कलाकार देश दुनिया में सम्मानित और स्थापित हैं।आज भी यह परम्परा कायम है। जैसे ही हम अखबार खोलते है तो नज़र आता है कि यहाँ के लोग कितना कुछ कर रहे हैं, वो साहित्य की बात हो , खेल की , संगीत की हर क्षेत्र से जुड़े हुए लोग शहर का नाम विदेशो तक में फैला रहे है । गर्व तो होता ही है साथ में पूरी सुबह जोश और गर्व से भर जाती है ।
और फिर नए उत्साह के साथ स्पोर्ट्स शूज पहन कर आप निकलते है ब्रिस्क वाकिंग पर तो एक बहुत ही परिचित सी आवाज़ और भाषा आपको रोक लेती है ।असल में इन्दौरी लोगो की आवाज़ में और लहज़े में एक अलग ही तरह का प्यार और केअर फ्री रवैया नज़र आयेगा । आप उनकी बोलचाल से ही पहचान लेगे की यह शख्स जरूर इन्दौरी है । इंदौरी बोली का असर लोगों पर कितना हुआ है वह उसे तब पता चलता है जब वह दूसरे शहर जाता है और वहां उसके उच्चारण पर क्रिया प्रतिक्रिया होती है । खैर, इन सबके चलते भी इन्दौरी अपने स्किल्स और वाकपटुता के चलते अपनी झांकी जमा ही लेता है ।
असल में इंदौर एक ऐसा आगे बढ़ता महानगर है जहां उसे सब कुछ बना बनाया नहीं मिला । ज़मीन से अपनी मेहनत के बलबूते धीरे धीरे संघर्ष करते यहाँ तक पंहुचा है और यही attitude आप यहाँ के लोगो में भी पायेगे । आईआईएम आईआईटीऔर कई कोचिंग संस्थानो के बावजूद भी कई विद्यार्थी मनचाहे पलेसमेंट से वंचित रह जाते हैं, पर फिर भी संघर्ष कर अपने मुकाम तक पहुच ही जाते है । यह सब कारण उन्हें हमेशा ज़मीन से जोड़े रखता है । विनम्र बनाये रखता है।कम से कम मैं अपने अनुभव से अपने लिए तो यह कह ही सकती हूँ।
इंदौर के बारे में एक बात जो हमेशा आकर्षित करती है वो है गज़ब का बैलेंस और तालमेल। ये एक ऐसी जगह है जहा आप को अच्छी शिक्षा भी मिल सकती है साथ में रोजगार भी।यहाँ का रेडीमेड गारमेंट उद्योग आपको हमेशा अप टू डेट रखेगा। प्रसिद्द धर्मस्थल तो आप ज़रूर जाएगे पर यहाँ की ख़ूबसूरत शामें और दिलकश रातों को भी भुला नहीं पाएंगे। यहाँ आकर महसूस होता है की सब लोग एक जैसे है दूसरी भाषाओ को भी अपनाया है पर जोर अपनी भाषा हिंदी पर ही ज्यादा है ।
एक बात और अंत में, इंदौर के बारे में, इंदौरी लोगो को बात करने का बस मौका भर चाहिये ,फिर वो रुकने वाले नहीं । तो हम बात कर रहे थे इंदौर की सुबह क़ी हलकी फुल्की बातो से गहन गम्भीर बातो और अपनेपन की मिठास लिए, मैंने बहुत सारी लफ्फाजी मौक़ा हाथ लगते ही कर ही दी है।
खैर, अब आप सुबह सुबह चौराहे पर चलिए ज़रा, हो जाए गरमा गर्म जलेबियों के साथ जायकेदार उसल पोहा।
आज इतना ही।नमस्ते।।
एकता।
हर शहर की अपनी एक अलग सुबह होती है ।और जब बात हो हमारे देश की जहा इतनी भिन्नताएं है तो फिर तो यह बात पूरी तरह पक्की हो जाती है की हर सुबह अपने साथ उस क्षेत्र की ख़ास भीनी भीनी महक छोड़ जाती है।
वैसे तो थोड़े समय बाद उन शहरों की सुबह अपनी जानी पहचानी सी लगने लगती है जहां हमने अपना कुछ समय बिताया होता है। वहां के पर्यावरण और खान पान का असर हमारे ऊपर हुए बिना नहीं रहता।चाहे वो मुम्बई की वडा पाँव की खुशबू और भागते दौड़ते क़दमों की आहट लिए कोई सुबह हो या फिर तहजीब और नवाबी ठहराव लिए बिरयानी और इडली डोसे की महक लिए हैदराबाद की डिजिटल भोर हो।
और उस शहर की सुबह के तो कहने ही क्या ! जहाँ गुजारी कई दोपहरें और सुहानी शामें अपने दोस्तों के साथ मस्ती करते गुजारीं हों। सुबह से लेकर शाम तक मौज मस्ती के साथ स्कूल , कॉलेज और कोचिंग के लिए यहाँ की गलियों, सड़को पर दौड़ती रही मेरी प्यारी स्कूटी ।
जब हम अपने शहर से दूर चले जाते हैं,तब उसका आकर्षण और ज्यादा लुभाने लगता है। कुछ ज्यादा ही उजली लगने लगती है अपने शहर की सुबह ।
मेरे शहर इंदौर की सुबह होती है ढेरो अखबारों से जो कि इस शहर का आईना भी है । दरअसल इंदौर एक सांस्कृतिक और कला प्रमुख शहर रहा है।यहां से कई ख्यात कलाकार देश दुनिया में सम्मानित और स्थापित हैं।आज भी यह परम्परा कायम है। जैसे ही हम अखबार खोलते है तो नज़र आता है कि यहाँ के लोग कितना कुछ कर रहे हैं, वो साहित्य की बात हो , खेल की , संगीत की हर क्षेत्र से जुड़े हुए लोग शहर का नाम विदेशो तक में फैला रहे है । गर्व तो होता ही है साथ में पूरी सुबह जोश और गर्व से भर जाती है ।
और फिर नए उत्साह के साथ स्पोर्ट्स शूज पहन कर आप निकलते है ब्रिस्क वाकिंग पर तो एक बहुत ही परिचित सी आवाज़ और भाषा आपको रोक लेती है ।असल में इन्दौरी लोगो की आवाज़ में और लहज़े में एक अलग ही तरह का प्यार और केअर फ्री रवैया नज़र आयेगा । आप उनकी बोलचाल से ही पहचान लेगे की यह शख्स जरूर इन्दौरी है । इंदौरी बोली का असर लोगों पर कितना हुआ है वह उसे तब पता चलता है जब वह दूसरे शहर जाता है और वहां उसके उच्चारण पर क्रिया प्रतिक्रिया होती है । खैर, इन सबके चलते भी इन्दौरी अपने स्किल्स और वाकपटुता के चलते अपनी झांकी जमा ही लेता है ।
असल में इंदौर एक ऐसा आगे बढ़ता महानगर है जहां उसे सब कुछ बना बनाया नहीं मिला । ज़मीन से अपनी मेहनत के बलबूते धीरे धीरे संघर्ष करते यहाँ तक पंहुचा है और यही attitude आप यहाँ के लोगो में भी पायेगे । आईआईएम आईआईटीऔर कई कोचिंग संस्थानो के बावजूद भी कई विद्यार्थी मनचाहे पलेसमेंट से वंचित रह जाते हैं, पर फिर भी संघर्ष कर अपने मुकाम तक पहुच ही जाते है । यह सब कारण उन्हें हमेशा ज़मीन से जोड़े रखता है । विनम्र बनाये रखता है।कम से कम मैं अपने अनुभव से अपने लिए तो यह कह ही सकती हूँ।
इंदौर के बारे में एक बात जो हमेशा आकर्षित करती है वो है गज़ब का बैलेंस और तालमेल। ये एक ऐसी जगह है जहा आप को अच्छी शिक्षा भी मिल सकती है साथ में रोजगार भी।यहाँ का रेडीमेड गारमेंट उद्योग आपको हमेशा अप टू डेट रखेगा। प्रसिद्द धर्मस्थल तो आप ज़रूर जाएगे पर यहाँ की ख़ूबसूरत शामें और दिलकश रातों को भी भुला नहीं पाएंगे। यहाँ आकर महसूस होता है की सब लोग एक जैसे है दूसरी भाषाओ को भी अपनाया है पर जोर अपनी भाषा हिंदी पर ही ज्यादा है ।
एक बात और अंत में, इंदौर के बारे में, इंदौरी लोगो को बात करने का बस मौका भर चाहिये ,फिर वो रुकने वाले नहीं । तो हम बात कर रहे थे इंदौर की सुबह क़ी हलकी फुल्की बातो से गहन गम्भीर बातो और अपनेपन की मिठास लिए, मैंने बहुत सारी लफ्फाजी मौक़ा हाथ लगते ही कर ही दी है।
खैर, अब आप सुबह सुबह चौराहे पर चलिए ज़रा, हो जाए गरमा गर्म जलेबियों के साथ जायकेदार उसल पोहा।
आज इतना ही।नमस्ते।।
एकता।
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