जड़ें
बीज आहिस्ता से जगह बनाता है अपनी
जड़े निर्धारित करती हैं
उसका वर्तमान और भविष्य
जड़ो से होता हुआ खाद पानी
उसकी देह तक पहुचता है
उठता है नभ की ओर
पल्लवित होकर
ये बहुत अचरज की बात है
कि खिलते,लहलहाते नव जीवन को देख
जड़े उखड़ने लगती है
ज़मीन से ऊपर निकल , निहारती हैं अपनी शाखाओं को
फल , पत्तियो के साथ
फिर नए रिश्ते बनाता है वृक्ष
बढ़ता चला जाता है आसमान में निगाहें गढ़ाए
जड़े दूर से निहारती रहती है
फलो से लदा वृक्ष शीश झुकाये
मुस्कुराहट के साथ आभार व्यक्त करता है।
एकता
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