दुनिया मेरे आगे
नए साल में कड़वे का भी स्वागत
एकता कानूनगो बक्षी
लीजिये फिर आ ही गया नया साल, हर बार की तरह। वही बारह महीने और उन महीनों में वैसे ही निर्धारित सारे दिन, सबके लिए.. सबको बराबर बराबर उपभोग,उपयोग का अवसर। वाह! क्या बेमिसाल प्रबंधन है।
अब जब निर्धारित 365 गेंदें हमारी पारी में हैं तो उनको कैसे खेली जाना है, ये पूरी तरह से हम पर निर्भर है। कोशिश तो यही रहेगी कि सारी बॉल बाउंड्री पार हो जाएँ पर ये पूरी तरह से निर्भर करेगा हमारे आत्म विश्वास भरे खेल, सूझबूझ और विवेकपूर्ण बल्लेबाजी पर। खैर, सारी बॉल बाउंड्री पार हो न हो.. पर खेल का आनंद लेना बेहद ज़रूरी है।
नए साल की शुरुआत करने का तरीका भी हम सबका अलग अलग रहता है , ज्यादातर लोग अपने घर के बड़ो का आशीर्वाद लेकर और देवस्थानों में जाकर नए साल की शुरुआत करते है , कुछ लोग नए साल के पहले दिन दान देते हैं , गरीबों को भोजन करवाते हैं, कम्बल बांटते हैं, पौधारोपण करते हैं ।
अक्सर बीते साल की आख़िरी रात और नए साल की पहली सुबह को जश्न के रूप में मनाने की परम्परा बन गयी है। यह भी मजेदार है कि कई लोगो की पिछले साल की आखिरी पार्टी के बाद आँख सीधे नए साल की दोपहर में ही खुलती है । फिर भी नए साल का स्वागत करने का सभी का अपना अपना तरीका है ।
नए साल के पहले दिन को लेकर बहुत सारी बातें भी प्रचलित है जैसे आज जो आप काम शुरू करोगे, वो पूरे साल आपको करना पड़ेगा, इसलिए सभी कोशिश करते हैं कि अपनी रुचि के काम से ही नई पारी का आगाज करें । लेकिन सभी को ऐसी सुविधा नही रहती है। कुछ लोगो का जीवन तारीखों और घंटो से नही, ज़रूरतों से आगे बढ़ता है । जब हम मध्य रात्रि को परिवार के साथ नए साल का जश्न मना रहे होते हैं, हमारे ही समाज के कई लोग उस समय भी अपना काम कर रहे होते हैं।
नए साल के आगमन पर मुझे वर्ष प्रतिपदा(गुड़ी पड़वा)का दिन भी याद आ रहा है। इस दिन जब हम बड़ो से आशीर्वाद लेते , तब दादी माँ हमें कड़वा नीम,काली मिर्ची और मिश्री का प्रसाद देती थीं।पता नहीं क्यों यह मिश्रण स्वाद में बिल्कुल अनोखा होता था। बीता साल बहुत सी कड़वी, मीठी,तीखी स्मृतियों को छोड़ता हुआ बिदा हो रहा होता है और आनेवाला साल भी तो इन्ही सच्चाइयों के आगमन की घोषणा करता आता है।
मुझे लगता है कि जीवन में कड़वे की उपस्थिति के कारण ही मिठास का महत्व हम जान पाते हैं। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों के कारण ही जीवन का वास्तविक जायका है। हम जब एक दूसरे से खान पान की रुचि के बारे में पूछते हैं, तो अक्सर ये सामान्य सा सवाल पूछने में आ ही जाता है कि आपको मीठा पसंद है या नमकीन ? आज तक किसी ने कभी नही पूछा कि आपको कड़वा पसंद है ? कड़वे में क्या लेना पसंद करेंगे? आखिर कड़वे का इतना तिरस्कार क्यों ? शायद इसलिए क्योंकि कड़वा आमतौर पर रुचि से खाया पीया नही जाता। यह अलग बात है कि कभी कभी मजबूरी में कड़वे घूंट उतारने और निगलना पड़ जाते हैं।
कड़वे का तिरस्कार शायद हमारी एक भूल है। कड़वा ही है जो हमारे भीतर गहरा उतरता है और लंबे समय तक अपना स्वाद और असर कायम रखता है। ठंड के दिनों में तो बुजुर्गों द्वारा कड़वे मैथी दाने के लड्डू खाने की परम्परा सी ही है। कहते है कैसी भी दुर्बलता क्यों न हो,इनका सेवन आपको बलवान बना देगा। ऐसे ही कुछ कड़वे बोल भी बड़े कारगर होते हैं जो आपका पूरा जीवन ही बदल डालते हैं या कहे कि आपकी गाड़ी को सही पटरी पर ला देते हैं।
ये कड़वापन आसानी से तब तक पीछा नही छोड़ता,जब तक की ये आपको पूरी तरह दुरस्त न कर दे । जो जितना कड़वा है असल मे वो उतना हितकर है। करेला और वह भी नीम चढ़ा ये केवल कहावत नहीं है, विशेषता है उसकी। कड़वेपन का फायदा उठाने में ही समझदारी है। हालांकि लौकी, गीलकी, तिरोई अगर कड़वी हो जाये तो तिरस्कार के योग्य है, क्योंकि वे कड़वी होकर अपने प्राकृतिक गुण से बेराह हो जाती हैं। बेराह हुई कोई भी चीज अंततः नुकसानदायक ही हो जाती हैं। चाहे वह रेलगाड़ी हो, आचरण हो , सब्जी हो या मनुष्यता सभी को बेपटरी नहीं होने देना चाहिए। करेला हो, नीम हो, या आलोचना ये सब कडुआहट के बावजूद गले लगाने योग्य है।
अगर अभी आप कड़वा खा रहे है, कड़वा अनुभव कर रहे हैं, तो आप भविष्य में मीठे के सेवन को सुनिश्चित कर रहे हैं। अगर कोई आप को कड़वा नही बोल रहा तो आपको यह देखना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है क्या आप इस समाज में हैं भी या नही । सच तो यह भी है कि कड़वेपन का सामना करने से हम अधिक शक्तिशाली और सहनशील बनते हैं।
जहर का स्वाद कैसा होता है ! पता नही, लेकिन निश्चित ही जहर पीने का वास्तविक कारण अनपेक्षित कड़वाहट को स्वीकार न कर पाना ही होता है । अगर जीवन की कड़वाहट को भी एक जरूरी स्वाद समझ कर लुफ्त उठाया जाए तो शायद ही निराशा में किसी जहर की ज़रूरत पड़े। इसीलिए मिठास के साथ साथ जीवन और भोजन में थोड़े कड़वे स्वाद का भी मजा लेते रहना चाहिए।
तो फिर उम्मीद है इस नए साल में आप मीठा , नमकीन,खट्टा और लाभदायक कड़वे का भी खूब आनन्द उठा सकेंगे। नव वर्ष की शुभकामनाएं।
एकता कानूनगो बक्षी

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