सुबह सवेरे में मेरी कविता पढ़ें।
कविता
बातें करो मुझ से
एकता कानूनगो बक्षी
मुझ से बातें करो बेशक उगते सूरज की
पंछियों की , बगीचे में खिले फूलों की
उन पर बैठी तितलियों की
बातें करो प्रेम की
अनुराग की
खिलाड़ियों के जुनून की बातें करो
वैज्ञानिकों के हौसलों
और आविष्कारों की बातें करो
समृद्ध देश में खिले हुए चेहरों की बातें करो
नए रास्तों पर बढ़ते कदमों की बातें करो
गगनचुम्बी इमारतों और स्थापत्य की बातें करो
भूत की
वर्तमान की
भविष्य की बात करो मुझसे
आस्था,विश्वास और मूल्यों की बात करो
पर सबसे पहले मुझ से बात करो
उनके दुख की
जिन्हें भोजन नहीं मिला आज का
जिनके अपने और सपने
कुहासों में गुम गए हैं कहीं
संघर्ष और पसीने की गंध की बात करो
या रहने दो मौन अभी।
कविता
बातें करो मुझ से
एकता कानूनगो बक्षी
मुझ से बातें करो बेशक उगते सूरज की
पंछियों की , बगीचे में खिले फूलों की
उन पर बैठी तितलियों की
बातें करो प्रेम की
अनुराग की
खिलाड़ियों के जुनून की बातें करो
वैज्ञानिकों के हौसलों
और आविष्कारों की बातें करो
समृद्ध देश में खिले हुए चेहरों की बातें करो
नए रास्तों पर बढ़ते कदमों की बातें करो
गगनचुम्बी इमारतों और स्थापत्य की बातें करो
भूत की
वर्तमान की
भविष्य की बात करो मुझसे
आस्था,विश्वास और मूल्यों की बात करो
पर सबसे पहले मुझ से बात करो
उनके दुख की
जिन्हें भोजन नहीं मिला आज का
जिनके अपने और सपने
कुहासों में गुम गए हैं कहीं
संघर्ष और पसीने की गंध की बात करो
या रहने दो मौन अभी।
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